
यूपीएससी सीडीएस के जरिये महिलाओं को सेना में प्रवेश पर फैसला करे केंद्र सरकार : हाईकोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को रक्षा मंत्रालय को महिलाओं को संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा के जरिये सेना में प्रवेश की अनुमति देने की याचिका पर फैसला करने का निर्देश दिया है। अदालत ने रक्षा मंत्रालय को आठ सप्ताह में अपना फैसला लेने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ अधिवक्ता कुश कालरा द्वारा दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी। हालांकि कालरा के वकील ने कहा कि याचिका को तब तक लंबित रखा जा सकता है जब तक सरकार उनके प्रतिनिधित्व पर फैसला नहीं कर लेती, कोर्ट ने कहा कि सरकार को याचिका की तलवार अपने सिर पर लटकाए बिना मामले का फैसला करना चाहिए।केंद्र सरकार के स्थायी वकील कीर्तिमान सिंह ने पीठ को बताया कि सरकार सशस्त्र बलों में महिलाओं को शामिल करने के लिए धीरे-धीरे कदम उठा रही है। केंद्र ने कोर्ट में कहा कि हमने एनडीए में किया है। शिकायत यह है कि इसे इस साल किया जाना चाहिए। इस साल, कैडर आवंटन पहले ही किया जा चुका है। मुझे यकीन है कि यह (सीडीएस के माध्यम से सेना, नौसेना और वायु सेना में महिलाओं का परिचय) भी होगा लेकिन यह बयान नहीं दिया जा सकता कि यह तुरंत किया जाएगा। अदालत ने केंद्र सरकार को आठ सप्ताह के भीतर कालरा की याचिका का निपटारा करने का आदेश दिया।यह थी मांगवकील कुश कालरा द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया था कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए), भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) और भारतीय सशस्त्र बलों की वायु सेना अकादमी (एएफए) में भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। अधिसूचना अनुचित रूप से महिलाओं को केवल उनके लिंग के आधार पर आईएमए, आईएनए और एएफए के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं में शामिल होने से बाहर करती है। जिसमें कहा गया है कि ओटीए में केवल शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के लिए महिलाओं पर विचार किया जा रहा है। कालरा ने तर्क दिया कि भले ही महिलाएं एनडीए के माध्यम से रक्षा बलों में शामिल हो रही हैं, लेकिन सीडीएस में प्रथा अभी भी भेदभावपूर्ण है।
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