
PhD : पीएचडी में एडमिशन और रिसर्च कराने के नियम होंगे सख्त, प्रोजेक्ट के नाम पर नहीं मिलेगा दाखिला
बीएचयू में पीएचडी प्रवेश और शोध की पढ़ाई के लिए नियमों में अब कड़ाई बरती जाएगी। 2016 के पीएचडी ऑर्डिनेंस को कई संशोधनों के साथ जारी करने की तैयारी है। ये सभी संशोधन बीते वर्षों में विभिन्न बैठकों के दौरान किए गए हैं। हालांकि अब तक इन्हें कड़ाई से लागू नहीं किया गया था। नियमों को पारदर्शी बनाने के लिए अब ये संशोधन अमल में लाए जाएंगे। अगले कुछ दिनों में बीएचयू की आधिकारिक वेबसाइट पर संशोधित ऑर्डिनेंस को अपलोड कर दिया जाएगा। नए नियमों में शोध छात्रों के साथ सुपरवाइजरों की मनमानी पर भी रोक लगाने की तैयारी है। पुरानी व्यवस्था में देखा गया कि पीएचडी के पांचवें या छठे वर्ष में शोध छात्रों को विभाग स्तर से ही समय विस्तार मिल जाता था। संशोधित नियम के मुताबिक अब समय विस्तार देने से पहले सुपरवाइजर को कारण बताना होगा। एक्सटेंशन फॉर्म में बाकायदा 250 शब्दों में उन्हें लिखना होगा कि संबंधित छात्र ने शोध अवधि में क्या काम किए और आगे क्या करना है। वहीं अब प्रोजेक्ट स्टाफ के नाम पर किसी को भी पीएचडी में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। पहले प्रोजेक्ट में काम करने के नाम पर छात्र बिना नेट-गेट या रेट दिए ही पीएचडी में प्रवेश पा जाते थे। नए नियम के मुताबिक प्रोजेक्ट कम से कम तीन वर्ष का होना चाहिए। शोध प्रवेश आवेदक इसमें एक वर्ष का काम कर चुका हो और उसका एक रिसर्च पेपर भी प्रकाशित हुआ हो। बीएचयू का अकादमिक अनुभाग इन सबकी निगरानी करेगा।पुराने नियमों में बाहरी संस्थान में काम करने वाले लोग बीएचयू में आसानी से पीएचडी में प्रवेश पा जाते थे। संशोधन के बाद इस नियम को परिभाषित किया गया है। इसके तहत अब दूसरे संस्थान में 12 साल काम कर चुके और लेवल-12 वेतन वाले कर्मचारी ही ‘बाहरी’ के तौर पर बीएचयू में शोध प्रवेश ले सकेंगे। इस संशोधन के चलते इस सत्र में ऐसे किसी भी बाहरी अभ्यर्थी को शोध प्रवेश नहीं दिया गया है।
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