MBBS : पिछले 13 साल में इस मेडिकल कॉलेज से कोई छात्र एमबीबीएस नहीं कर पाया

MBBS : पिछले 13 साल में इस मेडिकल कॉलेज से कोई छात्र एमबीबीएस नहीं कर पाया

पंजाब के व्हाइट मेडिकल कॉलेज से बीते 13 सालों में एक भी मेडिकल ग्रेजुएट नहीं निकला। पठानकोट में स्थित यह मेडिकल कॉलेज वर्ष 2021 में स्थापित हुआ था। पहले इसे चिंतपूर्णि मेडिकल कॉलेज के नाम से जाना जाता था। यहां एमबीबीएस की 150 सीटें हैं लेकिन बदतर इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी की कमी के चलते 13 बरसों में यहां से कोई बैच पासआउट नहीं हो सका। इस साल की शुरुआत में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश के बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने इस कॉलेज के सभी छात्रों को दूसरे कॉलेज में शिफ्ट लेने को कहा था। आपको बता दें कि एनएमसी ही देश में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता की निगरानी करती है। यह मेडिकल देश के उन दो मेडिकल कॉलेजों में से एक है जिन्हें अदालत ने मानकों पर खरे न उतरने के चलते पूरे एमबीबीएस बैच को अन्य मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट करने के आदेश दिए। दूसरा कॉलेज कर्नाटक का जी आर मेडिकल कॉलेज है। चितपूर्णि कॉलेज ने कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है, जबकि  जीआर मेडिकल कॉलेज ने सभी छात्रों को दूसरे मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया है।इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक चितपूर्णि कॉलेज पहले भी ऐसी गलतियां कर चुका है। वर्ष 2017 में भी तीन बैच (जिन्हें 2011, 2014 और 2016 में एडमिशन मिला था) के स्टूडेंट्स कोर्ट पहुंचे थे और अपना ट्रांसफर दूसरे मेडिकल कॉलेजों में करा लिया था।पिछले साल अगस्त में एनएमसी ने 9 मेडिकल कॉलेजों को एडमिशन लेने से रोक दिया था। ये कॉलेज उन शर्तों व मानकों पर खरे नहीं उतरे थे जो एनएमसी ने तय कर रखे हैं। एनएमसी पोर्टल पर इनकी फैकल्टी की अटेंडेंस कम थी। चिंतपूर्णि और कर्नाटक के मेडिकल कॉलेज को छोड़कर अन्य मेडिकल कॉलेजों ने अपनी कमियों को पूरा कर लिया और उन्हें एडमिशन लेने की अनुमति मिल गई। लेकिन  चिंतपूर्णि और कर्नाटक के मेडिकल कॉलेज ऐसा करने में नाकाम रहे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एनएमसी ने चितपूर्णि कॉलेज को पहले भी नए एडमिशन लेने से रोका है। 2011 में स्थापना के बाद से कॉलेज को अब तक सिर्फ पांच नए बैच शुरू करने की ही इजाजत मिल पाई है। 2011, 2014, 2016, 2021 और 2022 में 2017 में तीन बैच के बाहर निकलने और नए दाखिले पर लगे रोक को देखते हुए केवल दो बैच (2021 और 2022 में दाखिला लेने वाले) ही अभी कैंपस में हैं। इन छात्रों ने भी कॉलेज से ट्रांसफर की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। MBBS : NEET छात्रों के लिए खुशखबरी, सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 200 सीटें बढ़ेंगीपिछले साल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर एनएमसी ने चितपूर्णि मेडिकल कॉलेज मामले को लेकर एक समिति गठित की थी। इस समिति में एनएमसी के सदस्य, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (जिससे यह कॉलेज संबंद्ध है) और पंजाब के मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के प्रतिनिधि शामिल थे। इस समिति ने विचार विमर्श के बाद मेडिकल कॉलेज को बंद करने का प्रस्ताव दिया था।चिंतपूर्णि मेडिकल कॉलेज में एनएमसी निरीक्षण के दौरान जांचकर्ताओं ने पाया कि अस्पताल के बिस्तरों पर केवल 12.6 फीसदी मरीज ही हैं, अन्य खाली हैं। जबकि एनएमसी के मानदंडों के अनुसार हमेशा कम से कम 60 फीसदी बिस्तरों पर मरीज होना आवश्यक है।

2024-06-19 07:50:59

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