
कचरा चुनने वाले बच्चों को पढ़ाते हैं IAS अफसर अनिल झा, शिक्षक दिवस पर इन टीचर्स के जज्बे को सलाम
अनिल अंकल! अनिल अंकल! दर्जन भर बच्चों की इस आवाज पर हर रविवार आईएएस अनिल कुमार अपनी बालकोनी से झांकते हैं। बच्चों को अपने पास बुलाते हैं। इन बच्चों को ककहरा, एबीसीडी से लेकर कहानियां और गणित के सवाल सुलझाना सिखाते हैं। ये बच्चे कचरा, कागज- प्लास्टिक चुनने वाले हैं। हर रविवार को ये बच्चे झुंड में अनिल कुमार श्री झा के गोलारोड स्थित आवास परिसर में आकर पढ़ाई करते हैं। आइडिया कैसे आया? इस पर कहते हैं कि 2014 की घटना है। एक दिन उन्होंने बालकोनी में देखा कि एक व्यक्ति से बचने के लिए ये बच्चे छुपे हुए हैं। उस व्यक्ति के जाने पर इन्होंने बच्चों को बुलाकर बात की। कुछ बच्चों में पढ़ाई के प्रति ललक दिखी।आइडिया डायरी ने दिलाई बच्चों को राष्ट्रीय पहचानखुसरूपुर,पटना की निशि कुमारी ने बच्चों को आउट ऑफ द बॉक्स सोचने, समझने की शिक्षा देने के लिए आइडिया डायरी, आइडिया बॉक्स जैसा प्रयोग किया। विद्यार्थियों को प्रतिदिन एक आइडिया लिखने की आदत डलवाई। नतीजतन बच्चे इंस्पायर मानक में राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित हुए। साथ ही विज्ञान कांग्रेस, सकुरा प्रोग्राम के तहत जापान, इसरो भ्रमण भी किया है। इससे इनके विद्यार्थियों को राष्ट्रीय पहचान मिली।सीमित संसाधनों से सींचा तकनीक से भी जोड़ाकैमूर के सीकेन्द्र कुमार सुमन ने सीमित संसाधनों से बच्चों को सींचा। साथ ही तकनीक से भी जोड़ा। स्कूल में संसाधन के नाम पर जो था, उन्हीं का बेहतर इस्तेमाल किया। महज तीन कमरे थे। इनकी सूरत बदलनी थी और इसे किंडर गार्डेन का रूप दे दिया। आज इसी कमरे में स्मार्ट क्लास ,आईसीटी लैब से लेकर सभी चीजें उपलब्ध हैं। बच्चे ई-वोटिंग से लेकर कंप्यूटर की बुनियादी शिक्षा हासिल चुके हैं। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए ये चयनित हुए हैं।पर्यावरण के लिए पाठशालाफुलवारीशरीफ, पटना की शिक्षिका नीतू बच्चों को पर्यावरण संरक्षण, पौधरोपण करने का पाठ पढ़ा रही हैं। वह अपने स्कूल के बच्चों के अलावे अन्य बच्चों से किसी विशेष दिन पर पौधरोपण कराती हैं। बच्चे अपने स्कूल परिसर के साथ ही घरों पर भी अपने जन्मदिन या अपने परिवार के किसी सदस्य के जन्मदिन पर पर्यावरण के लिए पौधरोपण करते हैं। इसके अलावा छात्र-छात्राओं को सृजन करने के लिए भी प्रशिक्षण देती हैं।
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