
IIT के मोटे सैलरी पैकेज को ठुकरा यूपी पुलिस में बनी दारोगा, अब IPS अफसर बनना है लक्ष्य
खाकी वर्दी की चाह ने आईआईटीयन उमा वार्ष्णेय में ऐसा जुनून भर दिया है कि उन्हें एमटेक करने के बाद लाखों की नौकरी भी रास नहीं आई। उसे ठुकराकर उन्होंने दरोगा बनना बेहतर समझा और अब आईपीएस बनने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही हैं। फिलहाल मेधा देख उनकी तैनाती साइबर थाने में की गई है। मूलत: बरेली निवासी 27 वर्षीय उमा ने सुल्तानपुर स्थित कमला नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल में बीटेक किया। आईआईटी जोधपुर से एमटेक किया। सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। नौकरी के शानदार ऑफर आए। घरवालों ने नौकरी के लिए कहा तो साफ कह दिया जो काम पसंद है वही करेगी। ताकि बाद में अफसोस नहीं हो कि जिंदगी में कुछ नहीं किया। पिता वेद प्रकाश गुप्ता संभल में इंस्पेक्टर हैं। सिपाही से पदोन्नति हुई है। उमा को लगता है कि पुलिस की नौकरी ऐसी है जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद की जा सकती है। बड़ी कंपनी की प्राइवेट नौकरी में यह संभव नहीं। वहां तो आगे की पढ़ाई का समय भी नहीं मिलेगा। उमा ने बताया कि वे दो बहनें और एक भाई हैं। एक बहन मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। दूसरी बीएड कर रही है। भाई इंजीनियरिंग कर रहा है। होश संभालते ही पिता को वर्दी में देखा है। पुलिस वाले परिवार जैसे लगते हैं। लगता है इस वर्दी में बहुत ताकत है। इसलिए दरोगा की नौकरी ज्वाइन कर ली। वो भी तब जबकि घरवाले चाहते थे कि उमा एमटेक करके बड़ी कंपनी में बड़े पैकेज पर नौकरी करें। उसने ऑफर ठुकरा दिया। घरवालों से कहा कि उसे वर्दी ही पहननी है। वह अपनी पढ़ाई का खर्च खुद उठाएगी। उन्हें पहली तैनाती ताजगंज थाने में मिली। यूं मिली तैनातीदरोगा बनने के बाद प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं उमा बताती हैं कि पिछले दिनों अधिकारियों के एक पैनल ने साइबर थाने के लिए साक्षात्कार लिए। वे भी उसमें गईं। उनकी योग्यता देख अधिकारियों ने सवाल दागे। उन्होंने दनादन जवाब दिए। डीसीपी सिटी सूरज कुमार ने उमा को साइबर थाने में तैनात किया है।
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