
First Class Admission : यहां 6 साल से कम आयु के बच्चे भी ले सकेंगे पहली कक्षा में एडमिशन
उत्तराखंड में छह साल से कम आयु के बच्चों को पहली कक्षा में एडमिशन की रियायत देने के शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हरी झंडी दे दी। चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए निर्वाचन विभाग से अनुमति ली जा रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की। सीएम कार्यालय से यह फाइल शिक्षा विभाग को मिल गई है। इस व्यवस्था के लागू होने से नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी कक्षा कम आयु में पास कर चुके छात्रों के साथ वर्तमान शैक्षिक सत्र में छह साल की आयु की बाध्यता नहीं रहेगी। ऐसे छात्र-छात्राओं को पहली कक्षा में छह साल की आयु पूरी करने के मानक से रियायत मिल जाएगी।14 अगस्त 2023 को राज्य सरकार ने केंद्र के मानकों के अनुसार कक्षावार आयु सीमा तय कर दी थी। इसके अनुसार पहली कक्षा में एडमिशन तभी मिलेगा, जब एक अप्रैल को छात्र-छात्रा की आयु छह साल पूरी हो चुकी होगी। केंद्रीय विद्यालय के पहली कक्षा में वर्तमान में चल रहे दाखिले में भी बच्चे की आयु कम से कम 6 वर्ष मांगी गई है। इस नियम से उत्तराखंड के कई छात्रों के एडमिशन पर संकट आ गया है। अभी कुछ समय पहले डीजी-शिक्षा बंशीधर तिवारी ने आयु सीमा में रियायत का प्रस्ताव सरकार को भेजा था।आरटीई ऐक्ट के तहत हर स्कूल का पंजीकरण जरूरीदून के सीईओ प्रदीप कुमार रावत ने कहा कि आरटीई ऐक्ट के तहत प्रावधान किया गया है कि हर स्कूल को आरटीई में पंजीकरण कराना होगा। चाहे वह वर्ष 2009 से पहले का स्कूल का हो या फिर बाद का। पंजीकरण के लिए अंग्रेजी स्कूलों के लिए 50 हजार और हिंदी माध्यम स्कूलों के लिए दस हजार रुपये शुल्क तय है। इसके बाद हर तीसरे अथवा पांचवें साल इस मान्यता को रिन्यू कराना होता है। कई स्कूल अपना नियमानुसार पंजीकरण करा चुके हैं। जिन्होंने नहीं कराया है, उन्हें ऐक्ट के उल्लंघन में नोटिस दिए गए हैं।स्कूल अपने कैंपस में कॉपी-किताबें न बेचेंदेहरादून, विशेष संवाददाता। शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों को अपने कैंपस में कापी-किताबें न बेचने और अभिभावकों पर खास दुकानों से किताबें खरीदने का दबाव न बनाने के निर्देश दिए हैं। स्कूलों को एडमिशन के वक्त ही फीस ढांचे और भविष्य में होने वाले बदलाव का समय और बढोतरी की सीमा भी बतानी होगी। सोमवार को माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने शिक्षा निदेशालय में निजी स्कूलों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता में ये निर्देश दिए।बिष्ट ने यह आश्वासन दिया कि प्राइवेट स्कूलों की वाजिब समस्याओं का हल भी किया जाएगा। प्राइवेट स्कूलों की शिकायतों और समस्याओं का संज्ञान लेते हुए शिक्षा सचिव ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को स्कूलों से वार्ता और उचित कार्रवाई के लिए कहा। सोमवार को हुई बैठक में प्राइवेट स्कूल संचालकों ने बिष्ट को बताया कि आरटीई रजिस्ट्रेशन के तहत विभाग पंजीकरण शुल्क का दबाव बना रहा है। पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि आरटीई ऐक्ट लागू होने से पहले के स्कूलों पर नए सिरे से पंजीकरण की बाध्यता नहीं है। बिष्ट ने कहा कि इस मामले का अध्ययन किया जाएगा। आरटीई ऐक्ट में जो भी व्यवस्था दी गई है, उसका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है। उन्होंने निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी को लेकर होने वाले विवादों पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि हर स्कूलों को यह फीस निर्धारण और वृद्धि के लिए पारदर्शी मानक तय करने होंगे। एडमिशन के वक्त ही प्रत्येक अभिभावक को यह जानकारी देनी होगी कि फीस का ढांचा क्या है और किसी अवधि में कितनी बढ़ोतरी होगी। यदि अभिभावकों को पहले ही फीस ढांचे की जानकारी होगी तो वो अपनी क्षमता के अनुसार निर्णय लेंगे। लेकिन, अचानक फीस बढ़ाना उचित नहीं है।
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