
भर्ती में JSSC और JPSC की शर्त पर सुनवाई 25 अप्रैल को, कोर्ट ने सभी पक्षों को तैयार होकर आने को कहा
झारखंड हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ में गुरुवार को जेएसएससी और जेपीएससी परीक्षा में जाति प्रमाण पत्र से संबंधित मामले में सुनवाई हुई। जस्टिस आर मुखोपाध्याय, जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने इस मामले में विस्तृत सुनवाई के लिए 25 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है। अदालत ने उस दिन प्रार्थी सहित सभी पक्षों को तैयार होकर आने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने इस मामले में कई बिंदु निर्धारित करते हुए इसे वृहद पीठ में सुनवाई के लिए भेजा था। इस संबंध में डॉ. नूतन इंदवार सहित 43 याचिकाएं दाखिल की गई हैं।याचिका में कहा गया है कि जेएसएससी या जेपीएससी की परीक्षा के लिए जारी विज्ञापन की अंतिम तिथि तक जाति प्रमाण पत्र जारी होने की अनिवार्यता सही नहीं है। इसके अलावा जाति प्रमाण पत्र सिर्फ एसडीओ या उपायुक्त के स्तर से ही जारी होने की शर्त लगाना भी गलत है। प्रार्थियों ने परीक्षा में निर्धारित अंतिम कट आफ अंक से ज्यादा अंक प्राप्त किया था। लेकिन जेपीएससी ने यह कहते हुए उनकी उम्मीदवारी निरस्त कर दी थी कि इन्होंने सही फार्मेट और अंतिम तिथि से पहले जारी जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया है।सीजीएल पेपर लीक की सीबीआई जांच की मांग पर अड़ा विपक्ष, सत्र के पहले दिन जोरदार हंगामाजेपीएससी की ओर से प्रिंस कुमार सिंह व राकेश चौधरी ने अदालत को बताया कि इसी तरह के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विज्ञापन की अंतिम तिथि तक जाति प्रमाण पत्र होना जरूरी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की वृहद पीठ ने ही फैसला सुनाया है। इसी आधार पर राज्य सरकार की नियुक्ति नियमावली में ऐसी शर्त रखी जाती है।पूर्व में खंडपीठ ने अपने आदेश में कई बिंदु निर्धारित किए थे। इसमें कहा गया था कि क्या सुप्रीम कोर्ट के राम कुमार जीजोरिया का मामला इस तरह के मामले में लागू होगा या नहीं। क्या जेपीएससी या जेएसएससी की ओर से निर्धारित फार्मेट में ही जाति प्रमाण पत्र होना चाहिए। क्या विज्ञापन में दी गई अंतिम तिथि के बाद जारी जाति प्रमाणपत्र की मान्यता नहीं होगी।
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