
BAMS की 26 फीसदी सीटें घटीं, पीजी सीट में बढ़ोतरी का प्रस्ताव खारिज
आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों में एनसीआईएसएम ने इस साल 60 सीटें (26 फीसदी) घटा दी हैं। अकेले मुख्य परिसर में 28 सीट की कटौती की गई। अब 225 में से 165 सीट पर ही दाखिले की अनुमति होगी। 15 फीसदी सीटें ऑल इंडिया कोटे की होती हैं। यहां सीटों में कटौती के पीछे फैकल्टी की कमी, 14 विभागों में संसाधनों का अभाव और मरीजों की कम संख्या को आधार बताया गया है। जबकि, आयुर्वेद विवि इन दिनों यूजी-पीजी की काउंसलिंग करा रहा है।पीजी सीट में बढ़ोतरी का प्रस्ताव खारिजऋषिकुल परिसर में आयुष पीजी की 68 और गुरुकुल परिसर में 15 सीटें है। यहां सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव पूर्व में एनसीआईएसएम को भेजा गया था, लेकिन निरीक्षण के बाद फैकल्टी और संसाधनों की कमी बताकर इसे भी खारिज कर दिया गया। एनसीआईएसएम की ओर से मान्यता के बाद काउंसलिंग शुरू की गई है। इधर, कुलसचिव रामजीशरण शर्मा के अनुसार, छात्रों की उपस्थिति कम रहने की वजह से परीक्षाएं प्रभावित हो रही हैं। अन्य शिकायतें भी संज्ञान में आई हैं। इसके लिए बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य की जा रही है। इसके अलावा एनसीआईएसएम ने फैकल्टी और संसाधनों की कमी समेत कुछ बिंदु बताएं हैं। इन कमियों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।नियम 75 का, हाजिरी 40 प्रतिशत भी नहींमुख्य परिसर के निदेशक डॉ. राधाबल्लभ सती के मुताबिक, नियमानुसार 75 फीसदी हाजिरी जरूरी है, लेकिन कई छात्र ऐसे हैं, जो 40 फीसदी हाजिरी भी पूरी नहीं करते। कई छात्र तो दस फीसदी हाजिरी भी लगा पाए। कक्षाओं में आने पर ही छात्र कुछ सीख पाएंगे और अच्छे डॉक्टर बन पाएंगे। दोनों बैच के छात्रों के हित में अतिरिक्त कक्षाएं कराई जा रही हैंकक्षा में नहीं आते छात्र, कैसे बनेंगे डॉक्टर?हरादून। आयुर्वेद विवि के हर्रावाला स्थित मुख्य परिसर के साथ ही हरिद्वार के ऋषिकुल और गुरुकुल परिसर में भी काफी संख्या में आयुष छात्र कक्षाओं से गायब हो जा रहे हैं। हाल ही में बैच-2020 की तृतीय वर्ष की परीक्षा में मुख्य परिसर में 71 में से महज नौ छात्रों की हाजिरी पूरी मिली। लिहाजा, उनको ही परीक्षा में बैठने की इजाजत दी गई।
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