
Ambedkar Jayanti Essay in Hindi : स्कूली बच्चों के लिए बाबासाहेब अंबेडकर जयंती पर आसान निबंध
Ambedkar Jayanti Essay in Hindi : प्रत्येक वर्ष की तरह, राष्ट्र इस वर्ष भी 14 अप्रैल 2024 को भीमराव अंबेडकर जयंती पूरे उत्साह के साथ मनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर दलितों के महान नेता थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन दलित उत्थान के लगा दिया। बाबासाहेब के नाम से मशहूर अंबेडकर भारत के संविधान निर्माता थे। वे एक महान चिंतक, समाज सुधारक, कानून विशेषज्ञ, आर्थिक विशेषज्ञ, बहुभाषी वक्ता, संपादक, पत्रकार थे। अंबेडकर जयंती के मौके पर स्कूल, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों व अन्य स्थानों पर गोष्ठी, सभाएं और अन्य कार्यक्रम होते हैं। अगर आप विद्यार्थी हैं और स्कूल की किसी निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मन बना रहे हैं तो नीचे से उदाहरण ले सकते हैं। Ambedkar Jayanti Essay in Hindi : भीमराव अंबेडकर जयंती पर निबंधहर वर्ष 14 अप्रैल को देश में दलितों के नेता और भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। अंबेडकर जयंती को भीम जयंती, अंबेडकर स्मृति दिवस, समानता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। डॉ. भीम राव अंबेडकर (1891–1956) को भारतीय संविधान के जनक एवं दलितों के सबसे बड़े नेता और मसीहा के रूप में जाना जाता है। डा. अंबेडकर ने दलित समदुाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी। बाबासाहेब की जयंती का दिन हमें डॉ. अंबेडकर के असाधारण योगदान की याद दिलाने के साथ-साथ समानता और सामाजिक न्याय के लिए हमारी निरंतर यात्रा पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है।बाबासाहेब अंबेडकर का जन्म महार जाति में जन्म हुआ था जो अछूत मानी जाती थी। महार लोग गरीब होते थे, उनके पास जमीन नहीं थी और उनके बच्चों को वही काम करना पड़ता था जो वे खद करते थे। उन्हें गांव के बाहर रहना पड़ता था और गांव के अंदर आने की इजाजत नहीं थी।बाबासाहेब अंबेडकर जयंती पर दें यह छोटा और सरल भाषणअंबेडकर अपनी जाति के पहले व्यक्ति थे जिसने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और वकील बनने के लिए इंग्लैंड गए। उन्होंने दलितों को अपने बच्चों को स्कूल-कॉलेज भेजने के लिए प्रोत्साहित किया। दलितों से अलग-अलग तरह की सरकारी नौकरी करने को कहा ताकि वे जाति व्यवस्था से बाहर निकल पाएं। दलितों के मंदिर में प्रवेश के लिए जो कई प्रयास किए जा रहे थे, उनका अंबेडकर ने नेतृत्व किया। उन्हें ऐसे धर्म की तलाश थी जो सबको समान निगाह से देखे। जीवन में आगे चल कर उन्होंने धर्म परिवर्तन करके बौद्ध धर्म को अपनाया। उनका मानना था कि दलितों को जाति प्रथा केखिलाफ अवश्य लड़ना चाहिए और ऐसा समाज बनाने की तरफ काम करना चाहिए जिसमें सबकी इज्जत हो, न कि कुछ ही लोगों की।अंबेडकर जयंती का दिन डॉ. अंबेडकर के जीवन एवं विरासत को एक उत्सव के रूप में मनाना तथा समानता एवं सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना है। बाबासाहेब कहा करते थे कि वह ऐसे धर्म को मानते हैं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है। उनका मानना था कि जीवन लम्बा होने के बजाय महान होना चाहिए। वे ये भी कहते थे कि वे किसी समाज की प्रगति उसमें मौजूद महिलाओं की स्थिति से देखते हैं। अंबेडकर उस वक्त समाज में व्याप्त भेदभाव से लड़कर अपनी काबिलियत के दम पर आजाद भारत के पहले कानून मंत्री के पद तक पहुंचे। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न भी दिया गया। डॉ. अंबेडकर ने देश में श्रम सुधारों में भी अहम भूमिका निभाई। अंबेडकर ने श्रमिक संघों को बढ़ावा दिया और अखिल भारतीय स्तर पर रोजगार कार्यालयों की शुरुआत की।
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